आज की इस MODREN दुनिया में हम टेक्नोलॉजी से इतना ज्यादा जकड़े जा चुके हैं कि इसके बिना अपनी जिंदगी अधूरी सी लगती है लेकिन इसका बहुत ज्यादा प्रयोग या इस पर बहुत ज्यादा निर्भर हो जाना हमारे लिए किसी खतरे से कम नहीं है।
मुख्य रूप से मोबाइल फ़ोन हमारी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा बनता जा रहा है इसका हमारे जीवन में बहुत ज्यादा सकारात्मक वनकारात्मक प्रभाव पड़ता है। रात को २ बजे तक भी लोग अपने मोबाइल की स्क्रीन देखते रहते हैं। इसी फोन का हमारे बच्चो की आँखों पर बहुत गलत प्रभाव पद रहा है। मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग के कारण बहुत छोटी उम्र के बच्चों में चश्मे लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. बच्चों की आंखों में दर्द, आँखों का लाल पढ़ना , देखने में धुंधलापन आना जैसे लक्षण सामने आ रहे हैं, जो आंखों की कमजोरी का संकेत हैं और ये लक्षण सामान्य नहीं है।
इस समस्या से आज हर माँ बाप अपने बच्चे के लिए सोचता तो बहुत है लेकिन उनको ये नहीं सूझ रहा है कि इस समस्या से निजात के लिए क्या किया जाना चाहिए।
आईये हम जानते हैं कि बच्चों की आंखों के खराब होने के क्या क्या कारण हैं और आँखों की देखभाल कैसे करें साथ ही यह भी जानेंगे कि इससे बचाव के उपाय क्या हैं?
डॉक्टर प्रवीण जी ने बताया कि कोरोना बिमारी के साथ साथ एक ये भी बीमारी साथ लेके आया है _ मोबाइल फ़ोन का अत्यधिक प्रयोग और मोबाइल पर बहुत ज्यादा निर्भर हो जाना। कोरोना के समय में हर कोई घर पर खाली बैठा रहता था तो मोबाइल को देख लेना उचित समझा गया टाइम पास के लिए लेकिन मोबाइल का प्रयोग बड़ों के साथ साथ बच्चे भी ज्यादा करने लगे हैं जिस कारण उनकी आँखों पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा ह। उनकी दूर देखने की शक्ति काफी कमजोर हो चुकी है यही कारण है कि उनके माइनस के नंबर की चश्मा लग रही है।
छोटे-छोटे बच्चे मोबाइल का अधिक उपयोग कर रहे हैं, जिससे उनकी आंखों की दूर दृष्टि विकसित नहीं हो पा रही है. इस कारण, अब अधिक बच्चों को माइनस नंबर के चश्मे लगने लगे हैं. मानके चलो लगभग 15 से 20% बच्चों को चश्मा लगाना पड़ा है. इसके साथ ही, स्कूलों में आईपैड और टैबलेट के उपयोग से भी स्क्रीन पर टाइम व्यतीत करना काफी ज्यादा बढ़ गया है, जिससे आंखों में लालपन, सूखापन , और स्क्रीन की ब्लू लाइट की वजह से आंखों की समस्याएं हो रही हैं. इसका सीधा सा असर उनकी नींद पर भी पड़ रहा है।
मोबाइल फ़ोन के अलावा आंखों की समस्याओं के अन्य कारण
डॉ प्रवीण जी का कहना है कि बच्चों की आंखों की कमजोरी के कई कारण हो सकते है। आज का वातावरण बहुत ज्यादा प्रदूषित है , प्रदूषित कण जब आँखों में जाता है तो आँखों पर बहुत ज्यादा खतरनाक प्रभाव डालता है। इससे बचने का सीधा सा उपाय है थोड़े थोड़े समय अंतराल बाद आँखों को ठंडे पानी से धो लें अर्थात आँखों में पानी के छींटे जरूर मारें ताकि धूल मिटटी या जो भी डस्ट आँखों में है वो बहार निकल जाए। इसका एक अन्य कारणयह भी हो सकता है कि , जेनेटिक कारण से बच्चे की आँख कमजोर हो , माता-पिता को हर 6 महीने में बच्चों की आंखों की जांच अवश्य करवानी चाहिए।
बच्चों को बाहरी गतिविधियों में शामिल करना और मोबाइल का उपयोग सीमित करना आवश्यक है। जितना ज्यादा बच्चे मोबाइल से दूर रहेंगे उतना ही उनकी आँखों को आराम मिलेगा। समय सीमा निर्धारित कर लें मोबाइल देखने की ताकि एक निश्चित समय के बाद आंख को आराम मिल जाए।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. प्रत्येक इंसान पर किसी भी दवा या खान पान का अलग अलग प्रभाव होता है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं है। इसलिए आपसे अनुरोध है कि कृपया डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. https://hr24wallah.blogspot.com/ किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।